मंगलवार, जुलाई 12, 2005

मेरे पति का परिवार

मेरे पति के माता-पिता तलाक़-शुदा हैं और इकलिए वे अलग रहते हैं। मेरी सास मेरी ननद के साथ रहती हैं। अभी तक मैं अपनी सास से नहीं मिली, और कब उनसे मिलूँगी मुझे मालूम नहीं। मैं उनसे फ़ोन पर बात करती थी, और हमने ई-मैल से भी बात करती हैं। मेरी ननद से मैंने कभी नहीं बात की। वह सत्ताईस साल की हैं। उन के बारे में न लिखना अच्छा है क्योंकि अभी उन्हें बहुत दिक्कत है। जैसे मैं ई-मैल से अपनी सास से बात करती हूँ, वैसे मैं अपने ससुर से बात करती हूँ। मेरे ससुर ने दोबारी शादी की, और उनकी पत्नी से मैंने कभी नहीं बात की।

पहली मुझे थोड़ी आजीब लगती थी कि मेरे सास और ससुर तलाक़-शुदा हैं, और मेरे माता-पिता को यह बात बिल्कुल नहीं पसंद थी। मेरी माँ कह रही थी कि अगर मेरे पति का परिवार टुटा हुआ है, तो कैसे हम दोनों एक नया परिवार बना सकते हैं? और एक बात कहनी की उचित है—मेरे पति भी तलाक़-शुदा हैं! तो आप मन ले सकते है कि मेरी माँ के मन में क्या था। लेकिन मेरे पति का दिल बहुत अच्छा है, बहुत नरम है, और बिल्कुल मीठा है। जब मेरे माता-पिता मेरे पति से मिले, तब उनके दिल मेरे पति के लिए गले गये। ज़रूर यह हुआ—जैसे माँ-बाप के दिल हैं, वैसे बेटी का दिल भी है!