बुधवार, जून 29, 2005

मेरा परिवार—माँ की तरफ़

मेरे परिवार में मेरी माँ, पिताजी, और एक भाई हैं। मेरे भाई का नाम शनाहान है, और वे मुझसे बड़े हैं। मेरी बहन नहीं है। मेरी माँ की माँ, मेरी नानी, का नाम है ज़हानारा। मेरे नाना मेरे जन्म के पहले मार गये—यह आफ़सोस की बात है, क्योंकि मेरी माँ हमेशा मेरे नाना के बारे में बहुत मज़ेदार कहानी कहती हैं। मेरी नानी भी मार गयी, लेकिन मैं उनसे मिली। मेरी नानी ने ब्रिटिश स्कूल में पढ़ी; उनका परिवार कलकत्ता से हैं। उन्होंने कब धाखा आये मैं नहीं जानती। मेरी तीन मौसियाँ हैं—सब से बड़ी का नाम महरूनेसा है (दाक नाम औस्रू है)। दुसरी का नाम रविया है (दाक नाम मीनू), और तीसरी (मेरी छोटी मौसी) का नाम सवेरा है (दाक नाम रीनू)। मैं छोटी मौसी के साथ सब से गहरा हूँ; वे अभी बंगलादेश में आवामी लीग के लिए जेनेरल सेक्रेटेरी हैं। वे बहुत अच्छी फ़ेमिनिस्ट हैं।

मेरी माँ के तीन भाई हैं। सब से बड़े मेरे मोक्बुल मामा हैं, लेकिन वे १९७१ के यूद्ध में मार गये। वे फ़्रीदोम फ़ाईटेर थे। दुसरे मामा महबूब हैं। उन्होंने मेरी नानी के मन में बहुत दु:खी दीया। इसलिए हम उन से बहुत बात नहीं करते। मेरे सब से छोटे मामा मेरे बबुल मामा हैं। उनका मेरे लिए (और मेरे भाई के लिए) कितना अनुराग! जब वे मार गये, अब से ग्यारह साल पहले, तब मेरे दिल में कितना खराब लगा! अभी खराब लगता है। मेरी माँ अपने भाई और बहन में सब से बड़ी हैं।

मेरे मौसा-मौसी के बच्चे और मामा-मामी के बच्चों के बारे में हाल में खबर नहीं जानती, क्योंकि मैंने उन के साथ बहुत दीन तक नहीं मिले। बड़ी मौसी के चार बच्चे हैं: मेरे मौसेरे भाई के दाक नाम हैं मीठू, शेठू, और माही। मेरी मौसेरी बहन का दाक नाम खूखू हैं। मध्य मौसी के चार बच्चे हैं: मेरे मौसेरे भाई के दाक नाम टूटुल, मीटुल, और बीपुल हैं। मेरी मौसेरी बहन का दाक नाम आशा है। महबूब मामा के दो बच्चे हैं—मेरी ममेरा भाई का दाक नाम ऊपाल है, और मेरी ममेरी बहन का दाक नाम ऊरमी हैं। महबूब मामा की पत्नी, मेरी मामी, का नाम अस्मा है। बबुल मामा की सिर्फ़ एक बेटी है, और उसका नास अल्लहदी है। बबुल मामा की पत्नी (मेरी छोटो मामी) का नाम शम्मी है। मेरे तीन मौसा हैं--अब्दुल वहीद बड़े के नाम है, मीर सोमीर मध्य मौसा का नाम है, और सिराजुल इस्लाम छोटे मौसा का नाम है।