मंगलवार, जून 28, 2005

गाँव की ज़िंदगी

हिंदी फ़िल्मों पर आधारित हैं, भारतीय गाँव मुझे बहुत सुन्दर लगता हैं। मैं जानती हूँ कि गाँव की ज़िंदगी आसान नहीं हैं; मेरे पिताजी तो गाँव से हैं और मैं गाँव की ज़िंदगी को रोमानी रंग चढ़ाने की कोशिश नहीं करती। फिर भी, ऐसा लगता है कि गाँव के लोग प्रकृति के लिए ख़ास आदर है। वीर-ज़ारा में मैंने ठीक यह भाव देखा। जब वीर और ज़ारा वीर के गाँव गये, तब वीर नदि या बारिश से नहीं डरते, लेकिन ज़ारा मन में यह साहस नहीं है क्योंकि उसका प्रकृति के लिए वीर का ख़ास आदर और ज्ञान नहीं है।

गाँव की औरतें बहुत मेहनती लगती हैं, और मैंने उन्हें कितना प्रशंसा किया। वे औरतें परिवार के लिए जान देती हैं, ख़ास से उनके बच्चों के लिए। शायद वीर के परिवार के पास कम पैसा नहीं, लेकिन मुझे लगता है कि गाँव में ज़्यादा लोग के पास इतना पैसा नहीं है। एक और बात: वीर ज़ारा में एक बहुत महत्त्वपर्ण चीज़ है--गाँव की औरतें की शीक्षा। अगर ज़्यादा स्कूल औरत के लिए खुला होती, तो यह बहुत अच्ची बात होती।